सीतापुर। जिला चिकित्सालय एवं जिला महिला चिकित्सालय में गुरुवार को खून की जांच नहीं हो सकी। महानिदेशालय के शासनादेश के अनुसार 29 फरवरी को आपूर्तिकर्ता द्वारा प्राप्त मानव संसाधन को कार्यमुक्त करने का आदेश जारी किया था। जिसके उत्तर में जिला व महिला चिकित्सालय के आला अफसरों ने महानिदेशक को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि आपूर्तिकर्ता द्वारा प्राप्त मानव संपदा को हटा दिया जाता है तो आगामी भविष्य में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। वह निदेशक से यह भी अनुरोध किया था कि पूर्व की तरह ही यथा स्थिति को बरकरार रखने की अनुमति प्रदान करें लेकिन शासन की तरफ से इसका कोई भी उत्तर ना मिल पाने की वजह से किसी भी शासनिक कार्यवाही से बचने के लिए उक्त कर्मचारियों को कार्य करने से मना कर दिया है। इस अनुबंध में उत्तर प्रदेश के करीब 170 जिला व महिला चिकित्सालय में यह कर्मचारी कार्य कर रहे थे। यह कर्मचारी रोगियों का परीक्षण कंप्यूटरीकृत एवं ऑटोमेटिक मशीन द्वारा उच्च स्तरीय रिपोर्ट को मरीजों को देखकर उन्हें सही इलाज के लिए अग्रेषित करते थे। कंप्यूटरीकृत एवं ऑटोमेटिक मशीनों का किसी अन्य कर्मचारियों द्वारा चलाने की जानकारी ना होने की वजह से सभी जांचें जिसमें मशीन से होने वाली लिवर, किडनी, शुगर व अन्य कई जरूरी जांचें बाधित हैं। सरकार ने इन कर्मियों को हटाने का फैसला ऐसे समय पर किया है। जिस समय हम सभी एक ऐसे महामारी से गुजर रहे हैं जो कि लाइलाज है जिला चिकित्सालय में करीब रोजाना 300 रोगियों व जिला महिला अस्पताल में 200 रोगियों का परीक्षण होता था जो कि आज बुरी तरह से प्रभावित है। आलम यह है कि कोरोना महामारी के डर से हर व्यक्ति खून की जांच कराने यहां आता है और सुबह से शाम तक लाइन में लगने के बाद भी जांच नहीं हो पाती है। इस समय अस्पतालों में सारा काम मैनुअल हो रहा है। जिससे भीड़ बढने के साथ साथ अव्यवस्थाएं फैलती जा रही है।
महिला अस्पताल में खून की जांच कराने के लिए लगी भीड़ तथा जिला अस्पताल में भी जांच के लिए लगी भीड़।