प्रकृति प्रेमियों नेे किया गौरैया संरक्षण हेतुु जागरूक किया, कृत्रिम घोंसला बनाएं


सीतापुर। प्रकृति एवं पक्षी प्रेमियों ने आज विश्व गौरैया दिवस के उपलक्ष्य में घर पर ही रहते हुए अपने आस पड़ोस में न केवल गौरैया संरक्षण हेतु जागरूक किया। बल्कि स्वयं कृत्रिम घोंसले बनाकर गौरैया के संरक्षण हेतु संकल्प लिया। विदित हो कि 20 मार्च विश्व गौरैया दिवस के रूप में मनाई जाती है। जिसमें गौरैया के संरक्षण हेतु विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रतिवर्ष प्राणी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक डॉक्टर योगेश चंद्र दीक्षित के निर्देशन में हर वर्ष गौरैया जागरूकता हेतु कृत्रिम घोंसलों का वितरण तथा अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। किंतु इस वर्ष कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए इस कार्यक्रम के आयोजन की संभावना क्षीण होती प्रतीत हो रही थी। किन्तु डॉक्टर दीक्षित एवं सुष्मिता श्रीवास्तव तथा जीव प्रेमी युवाओं के संकल्प के आगे कोरोना का भय भी कम हो गया। एक दिन पूर्व ही डॉक्टर योगेश चन्द्र दीक्षित ने स्वयं कृत्रिम घोंसला बनाते हुए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के अपने विभिन्न समूहों में वायरल कर दिया। जिसको देखते हुए सीतापुर के प्रकृति एवं पक्षी प्रेमियों ने आज प्रातरू से ही घोंसले बनाकर अपने घरों में तथा पास पड़ोस में लगाने का कार्य शुरू कर दिया। इस कार्य में मुख्य रूप से होली नगर में मानसी गुप्ता, ब्रम्हावली महोली में स्वाति त्रिवेदी, बिसवॉ में अक्षरा सिंह, लोहार बाग में कृतिका, हरदोई चुंगी में नवीन, अभिजीत अवस्थी, हरदोइर्् रोड रायपुर के क्ष़ेत्र में पंखुड़ी दीक्षित, अर्पिता सिंहरिया शुक्ला, शोभित, नैंसी आदि ने घोसले बनाकर लगाए लोगों को जागरुक किया भाग लियाा। इस अवसर पर सेक्रेड हार्ट की पूर्व छात्रा अनीता, देवी वर्मा ने भी श्रीनगर कालोनी, खूबपुर में अपने घर पर कई घोसले बनाकर आसपास के लोगों को जागरुक किया। नैमिषपुरम कालोनी में श्रेयांशी ने जागरूक किया। चूंकि ये कार्यक्रम सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया था। जिसके फलस्वरूप अन्य शहरों के लोगों ने भी इस जागरूकता कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। जिसमें मुख्य रूप से मुरादाबाद के डॉक्टर हिमांशु त्रिवेदी, लखीमपुर जिला विज्ञान क्लब के जिला समन्वयक सुनील मिश्रा एवं अंशिका शुक्ला का योगदान रहा। इस अवसर पर डॉक्टर योगेश दीक्षित ने बताया कि गौरैया संरक्षण का प्रयास विगत कुछ वर्षों से लगातार किए जा रहे हैं। इस हेतु पहले भी कृत्रिम घोसले वितरित किये गए थे। जिनमें से दो उन्होंने अपने घर तथा समीप में स्थापित किये। जिसमें गौरैया, बुलबुल तथा रॉबिन ने कई बार अंडे दिए। बर्तमानं में नैमिषपुरम कॉलोनी में गौरैया के साथ साथ बुलबुल रॉबिन की पर्याप्त संख्या विकसित हो चुकी है। इस वर्ष का गौरैया संरक्षण कार्यक्रम अपने आपमें एक अप्रतिम उदाहरण बनकर आयोजित हुआ। जिसमें सोशल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान रहा।